Achala Saptami kab hai 2025: जानिए 2025 में कब है अचला सप्तमी, यहां देखिए तारीख, और सही मूहर्त ! 

Achala Saptami kab hai: हिंदू धर्म में साल भर अलग-अलग त्योहार और पूजा मनाए जाने का चलन होता है। इसी प्रकार हिंदू धर्म में अचला सप्तमी पर्व का भी विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार अचला सप्तमी का पर्व हर वर्ष माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व को रथ सप्तमी, सूर्य जयंती, आरोग्य सप्तमी, मार्ग सप्तमी, इत्यादि नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान सूर्य देव का जन्म हुआ था। यदि आप भी यह जानना चाहते हैं कि इस साल 2025 में अचला सप्तमी का व्रत कब रखा जाएगा ? या फिर 2025 में अचला सप्तमी कब मनाई जाएगी ? तो यह जानने के लिए इस लेख में अंत तक बने रहे… 

अचला सप्तमी कब है 2025 ? ( Achala Saptami kab hai 2025) 

अचला सप्तमी को भगवान सूर्य देव का दिन माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि अचला सप्तमी के दिन भगवान सूर्य देव की पूजा अर्चना करने से लोगों के सभी रोग और दोष मुक्त हो जाते हैं। इसके अलावा अचला सप्तमी के दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करने से भी पापों की मुक्ति मिलती है। यदि इस साल पंचांग के अनुसार कहा जाए तो 2025 में अचला सप्तमी 4 फरवरी के दिन मनाए जाने वाली है। यदि आप भी अचला सप्तमी के दिन सूर्य भगवान की पूजा करना चाहते हैं तो 4 फरवरी को आप अचला सप्तमी का शुभ पर्व मना सकते हैं। 

अचला सप्तमी पूजा का शुभ मुहूर्त 2025 ? ( Achala Saptami ka shubh muhurat ) 

अचला सप्तमी पूजा का शुभ मुहूर्त 2025 में पंचांग के अनुसार यह बताया जा रहा है कि 4 फरवरी के दिन मंगलवार को सूर्योदय के समय 7:08 पर शुरू होगा। वही स्थिति की समाप्ति अगले दिन 5 फरवरी को सुबह 2:30 पर होगी। इस दिन विशेष तौर पर पूजा करने वाले लोगों को 4 फरवरी के दिन सूर्य भगवान की पूजा करनी चाहिए। 

अचला सप्तमी की पूजा विधि ? ( Achala Saptami ki puja vidhi kya hai ) 

अचला सप्तमी की पूजा करने के लिए सबसे पहले इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करना चाहिए। उसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए। उसके बाद भगवान सूर्य देव को जल का अर्ध देना चाहिए। अगर आप चाहे तो जल में गंगाजल, दूध, तिल, पुष्प,अक्षत, इत्यादि मिलकर सूर्य देव को अर्घ दे सकते हैं। अर्ध देते हुए ओम सूर्याय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए। सूर्य देव की पूजा करने के बाद उन्हें भोग लगाकर उनकी आरती करनी चाहिए। इस व्रत में यह ख्याल रहे कि इस दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। सिर्फ फलाहार करके ही व्रत संपूर्ण करना चाहिए और सूर्य भगवान से मनवांछित इच्छा की कामना करनी चाहिए। ऐसा करने से सूर्य भगवान प्रसन्न होते हैं और आपको स्वस्थ जीवन और सफलता का आशीर्वाद देते हैं। 

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