Mid day meal Scheme: आपको बता दें कि मध्याह्न भोजन योजना का रिकॉर्ड काफी पुराना है। कहा जाता है कि ब्रिटिश सरकार में पहली बार मध्याह्न भोजन योजना वंचित बच्चों को भोजन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 1925 में मद्रास कॉर्पोरेशन के माध्यम से शुरू की गई थी। बाद में यह योजना स्वतंत्र भारत में भी कई राज्यों में शुरू की गई।
लेकिन इन दिनों भी भारत के लगभग सभी राज्यों में मध्याह्न भोजन योजना चलती है। इस योजना ने न केवल गरीब और वंचित बच्चों की भूख मिटाने का काम किया है, बल्कि उचित भोजन के माध्यम से बच्चों को कुपोषण से भी बचाया है।और यह महिलाओं को स्कूल भेजने में वरदान साबित हुआ है।
(Mid day meal)मिड डे मील योजना क्या है
Mid day meal Scheme: मिड डे मिल योजना आज के समय में एक बहुत बड़ी योजना है। 1997 के बाद पैदा हुए और सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले हर बच्चे ने इसका फायदा उठाया होगा। लेकिन क्या हमने कभी यह जानने की कोशिश की है कि आखिर ये मिड डे मील योजना क्या है? और हमारे बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए इस योजना में हमारा क्या योगदान है। नहीं, कोई बात नहीं, आज हम आपके साथ इस योजना के बारे में उतनी ही जानकारी साझा करने जा रहे हैं जितनी हम एकत्र कर सकते थे। मिड डे मील योजना भारत सरकार द्वारा चलाई जाने वाली एक योजना है।
मिड डे मील रसोइया मानदेय की ताजा अपडेट Today
मिड डे मील बड़ी खुशखबरी जुलाई 2023 से ₹7000 मिल सकता है वेतन |
मिड डे मील योजना कब शुरू हुई
Mid day meal Scheme: यह योजना भारत में 15 अगस्त 1995 को जारी हुई। इस योजना का उद्देश्य सरकारी प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना और उनके माता-पिता को अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करना था।पहले चरण में यह योजना 2408 प्रतिशत में शुरू की गई थी और अप्रैल 2002 से इस योजना को सभी सरकारी प्राथमिक स्कूलों और उन स्कूलों तक बढ़ा दिया गया है जिनमें कक्षा 1 से कक्षा 5 तक के बच्चों को शिक्षा दी जाती है।
माध्यमिक स्तर यानी कक्षा 8 तक लागू किया गया। इस योजना के अनुसार, सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले प्रत्येक बच्चे को मध्याह्न भोजन योजना के तहत तीन सौ कैलोरी और आठ से बारह ग्राम प्रोटीन मिलना चाहिए।बाद में सितंबर 2004 में कैलोरी और प्रोटीन की मात्रा बढ़ाकर 450 और 12 ग्राम कर दी गई।
मिड डे मील योजना के लाभ
Mid day meal Scheme: भारत में कई राज्य ऐसे है जहां पर खाने की कमी है।यानी वो लोग जो दिन भर अपना पेट भरने के लिए जुगाड़ ढूंढते रहते हैं। मिड डे मील योजना उन क्षेत्रों के लिए वरदान साबित हुई है। जो अपने बच्चों का पेट भरने के काम में लगा देते थे। आजकल वे बच्चो को स्कूल भेजने लगे हैं। इस उम्मीद में कि कम से कम एक बार हमें स्कूल से खाना तो मिल ही जाएगा।
- मिड डे मील योजना में ऐसा रूल है कि जिस बच्चे की उपस्थिति 80 प्रतिशत या 80 प्रतिशत से अधिक होगी वह अगले वर्ष तक इस योजना का लाभ का लाभ उठा सकेंगे। इससे भी बच्चे रोज़ स्कूल जाने लगे।
- इससे पहले ग्रामीण क्षेत्रों और आदिवासी क्षेत्रों में बहुत कम बच्चो को या लड़कियों को स्कूल नहीं भेजा जाता था। लेकिन मिड डे मील योजना के चलते बच्चों के माता-पिता ने भी लड़कियों को स्कूल भेजना शुरू कर दिया।
- ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ बच्चे थे जो स्कूल जाते समय बहुत रोते थे और उन्हें स्कूल जाना पसंद नहीं था लेकिन तब से इस योजना से उनके स्कूल में खाना शुरू हो गया है।
- जो बच्चे गरीबी की वजह से घर में सही भोजन नहीं मिल पाता था और उसका सही तरीके से शारीरिक विकास नहीं हो पा रहा था। अब उन्हें स्कूल में सही भोजन मिलता है।
- मिड डे मील योजना से सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने का मतलब है कि योजना के तहत स्कूल में पढ़ने वाले सभी बच्चे चाहे वे किसी भी जाति के हों, उन्हें एक साथ खाना खाना होता है जो की सामाजिक समानता को बढ़ावा देता है।
- ऐसे गरीब लोग जिन्हें यह नहीं पता कि अपने बच्चे को एक बार में एक बार खाना खिलाने के लिए कितने कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं। वे अब अपने बच्चे को यह सोचकर स्कूल भेजते हैं कि कम से कम एक समय का खाना तो उन्हें मिलेगा।
- मिड डे मील योजना के आने से स्कूलों में लड़कियों की पॉपुलेशन भी बढ़ी है। इसका मतलब है कि लोग अब लड़कियों को भी स्कूल भेज रहे हैं।
- स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के बीच समान जेंडर डिस्क्रिमिनेशन को बढ़ावा देना, जब से लड़कियों ने स्कूल जाना शुरू किया। तब से स्कूलों में लड़कियों और लड़कों की संख्या में कोई खास अंतर नहीं आया है।
- इस योजना से बच्चों में कई अच्छी आदतें भी सीखते हैं। जैसे खाना खाने से पहले हाथ धोना, खाने के बाद हाथ धोना, खुद की थाली साफ करना, खाने के बाद साफ पानी पीना आदि।
मिड डे मील योजना की विशेषताएं
Mid day meal Scheme: इस योजना का लक्ष्य बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाना और पौष्टिक आहार देकर उनकी शिक्षा ग्रहण करने की क्षमता को बढ़ाना है।
- भारत की तरह, सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी जाति व्यवस्था चल रही है। इसलिए मिड डे मील योजना का लक्ष्य भी बच्चों में जाति, जाति, छुआछूत जैसी विचारधाराओं को पनपने नहीं देना है।
- अगर एक घर में दो लड़कियां और एक लड़का है, तो भारतीय ग्रामीण समाज में माता-पिता लड़के की शिक्षा को बढ़ावा देते हैं। इसलिए इस योजना का लक्ष्य पढ़ाई के नाम पर किए जाने वाले लैंगिक भेदभाव को खत्म करना भी है।
- मिड डे मील योजना के कारण स्कूलों में लड़कियों की संख्या में काफी बढ़ गई है। इसलिए स्कूलों में लड़कियों की संख्या बढ़ाना भी इस योजना का लक्ष्य है।
- अब यदि इस योजना का लाभ लेने के लिए अधिक से अधिक बच्चे स्कूलों में प्रवेश ले रहे हैं तो निरक्षरता दर कम होगी। इसलिए इस योजना का लक्ष्य भूख को जड़ से खत्म करना है, साथ ही स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाना भी है।
- इससे पहले यह मिड डे मील योजना कक्षा 1 से कक्षा 5 तक के छात्रों के लिए चलाई जाती थी, लेकिन जब देखा गया कि कुछ लोग अपने बच्चों को कक्षा 5 से आगे ले जाने के लिए अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं तो यह योजना कक्षा 5 तक के बच्चों के लिए बढ़ा दी गई थी।
- बच्चों को पौष्टिक आहार देकर कुपोषण से बचाना।
- गरीब लोगों को अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित करना।
निष्कर्ष
हम आशा करते हैं कि आपको हमारा ये लेख पसंद आया होगा। हमने अपने इस लेख में Mid day meal Scheme से जुडी संपूर्ण जानकारी देने कि कोशिश की है। इससे जुड़े कोई अन्य प्रश्न हो तो हमे कॉमेंट बॉक्स में जरूर पूछे। धन्यवाद !
Will the mid day meal workers get regular?
मिड डे मील रसोइया को मानदेय के रूप मे मात्र 1650रु मिलता है केंद्र सरकार इनको कम से कम 9000रु प्रति माह दे
Sahi hai aisa karana chahiye
Sahi hai aisa karana chahiye aaj ke samay me to chhote bachhe 2000 kharch kar dalate hai
हमारे योगी जी
गरीबी जानते कहा है सर
वो तो रोना जानते है
बोट माँगना जानते है
2000
हजार मे ,,,,,30 दिन काम
बाबा सहाब होते
मास्टर को
25000
ओर
सब को
15000
देते,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
धन्येबाद