Bakrid India me kab manaya jayega 2025: जानिए 2025 में बकरीद की तारीख, महत्व और उत्सव की पूरी जानकारी ! 

Bakrid India me kab manaya jayega, Bakrid kab hai 2025: बकरीद, जिसे “ईद-उल-अजहा” भी कहा जाता है, इस्लाम धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार बलिदान, आस्था और इंसानियत का प्रतीक माना जाता है। बकरीद को पूरे भारत में मुसलमान भाई-बहन बड़े धूमधाम और धार्मिक श्रद्धा के साथ मनाते हैं। आइए जानते हैं इस पावन पर्व की तारीख, धार्मिक महत्व और इसे कैसे मनाया जाता है।

बकरीद का धार्मिक महत्व

Bakrid kab hai 2025: बकरीद के पीछे एक ऐतिहासिक और धार्मिक कथा है। ऐसा माना जाता है कि एक रात पैगंबर इब्राहीम (अलैहि सलाम) को सपना आया जिसमें खुदा ने उन्हें अपने बेटे इस्माइल (अलैहि सलाम) की कुर्बानी देने का हुक्म दिया। यह एक बड़ी परीक्षा थी, लेकिन इब्राहीम ने अल्लाह के हुक्म को मानते हुए अपने बेटे को बलि देने की तैयारी की।

जैसे ही वह बलिदान करने वाले थे, अल्लाह ने उन्हें रोक दिया और एक दूत भेजा जो एक मेंढा साथ लाया। उस मेंढे को इस्माइल की जगह कुर्बानी दी गई। इस घटना को मुसलमान आज भी याद करते हैं और हर साल बकरीद पर जानवर की कुर्बानी देकर अपनी आस्था और भक्ति प्रकट करते हैं।

भारत में बकरीद 2025 की तारीख (India me bakrid kab manaya jayega) 

भारत में बकरीद 2025 की शुरुआत शुक्रवार, 6 जून 2025 की शाम से होने की उम्मीद है। चांद देखने के आधार पर अंतिम तारीख की पुष्टि की जाती है, इसलिए यह एक-दो दिन आगे-पीछे हो सकती है।

बकरीद की 2025 की सरकारी छुट्टी

भारत में बकरीद के दिन “शनिवार, 7 जून 2025” को सार्वजनिक अवकाश रहेगा। इस दिन सरकारी और कई निजी कार्यालय बंद रहते हैं। साथ ही मुस्लिम समुदाय से संबंधित कई दुकानें भी बंद रह सकती हैं या सीमित समय तक खुली होती हैं।

बकरीद पर नमाज़ का समय 

बकरीद की नमाज़ सुबह-सुबह मस्जिदों और ईदगाहों में अदा की जाती है। 2025 में बकरीद की नमाज़ का समय अभी तय नहीं हुआ है क्योंकि यह चाँद के दिखने पर निर्भर करता है। आमतौर पर नमाज़ सूरज निकलने के थोड़ी देर बाद पढ़ी जाती है।

बकरीद कैसे मनाई जाती है?

बकरीद के दिन सुबह-सुबह लोग नहा-धोकर नए कपड़े पहनते हैं और इत्र लगाकर मस्जिद जाते हैं। वहाँ विशेष नमाज़ अदा की जाती है, जिसमें लोग मिलकर भाईचारे और एकता का संदेश देते हैं।नमाज़ के बाद कुर्बानी का सिलसिला शुरू होता है। मुसलमान लोग गाय, बकरी, भेड़, भैंस या ऊँट की कुर्बानी देते हैं। यह बलिदान इब्राहीम की कुर्बानी की याद में किया जाता है।

कुर्बानी के बाद मांस को तीन हिस्सों में बांटा जाता है:

  • 1. एक हिस्सा गरीबों और ज़रूरतमंदों को दिया जाता है।
  • 2. दूसरा हिस्सा रिश्तेदारों और पड़ोसियों को बांटा जाता है।
  • 3. तीसरा हिस्सा अपने घर के लिए रखा जाता है।
  • इस तरह यह त्योहार समाज में बराबरी, सेवा और दया का संदेश देता है।

बकरीद का खास पकवान | शीर खुरमा

बकरीद पर मीठे पकवान भी बहुत खास होते हैं। इनमें सबसे मशहूर है “शीर खुरमा” । यह एक पारंपरिक मिठाई होती है जो दूध, सेवईं और सूखे मेवों से बनाई जाती है। इसे घर आए मेहमानों को परोसा जाता है और सभी मिलकर इसका आनंद उठाते हैं।

उत्सव और भाईचारा

बकरीद के दिन लोग अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलने जाते हैं। बच्चे नए कपड़े पहनते हैं और ईदी (उपहार या पैसे) पाते हैं। लोग एक-दूसरे को “ईद मुबारक” कहकर बधाई देते हैं। इस दिन खुशी, भाईचारा और दान की भावना पूरे माहौल को पवित्र बना देती है।

निष्कर्ष

बकरीद सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि यह आस्था, बलिदान, और सेवा की भावना का प्रतीक है। 2025 में यह त्योहार 6 और 7 जून को मनाया जाएगा। इस अवसर पर हमें अपने समाज में ज़रूरतमंदों की मदद करने और सबके साथ मिलकर खुशियाँ बाँटने का संकल्प लेना चाहिए। यही बकरीद का असली संदेश है।

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